AHSEC Class 12 Hindi Chapter: 3 कैमरे में बंद अपाहिज Question Answers

AHSEC Class 12 Hindi (Mil) Notes

CHAPTER:3☆

कैमरे में बंद अपाहिज

काव्य खंड

कवि परिचय: रघुवीर सहाय का जन्म सन् 1929 में लखनऊ उत्तर प्रदेश में हुआ था। लखनऊ में ही उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम. ए. उत्तीर्ण की। इन्होंने पहले ‘प्रतीक’, ‘वाक’ और ‘कल्पना’ के संपादक मंडल में रहे। इसके पश्चात् कुछ समय तक ये आकाशवाणी से संबद्ध रहे। इन्होंने नवभारत टाइम्स के विशेष संवाददाता के रूप में भी काम किया। रघुवीर सहाय अपनी भाषा, कला-सजगता, सामाजिक सरोकार और विशिष्ट अभिव्यजंना प्रणाली के कारण अपनी अलग पहचान बनाते है। रघुवीर सहाय समकालीन हिंदी कविता के संवेदनशील ‘नागर’ चेहरा हैं। उन्होंने सड़क, चौराहा, दफ्तर, अखवार, संसद, बस और बाजार की बेलौस भाषा में कविता लिखी। रघुवीर सहाय 17 वर्ष की आयु में ही कविता लिखना आरंभ कर दिया था। उनकी पहली कविता ‘कामना सन् 1946 में लिखी गई थी। उनकी आदिम संगीत नामक कविता ‘आजकल’ पत्रिका के अगस्त, 1947 के अंक में छपी थी। रघुवीर सहाय ने कविता को एक नाटकीय वैभव तथा कहानीपन दिया हैं। हत्या, लूटपाट और आगजनी, राजनैतिक भ्रष्टाचार उनकी कविताओं के विषयवस्तु रहे हैं। उनकी कविताओं में जातीय या वैयक्तिक स्मृतियाँ नहीं के बराबर है। रघुवीर सहाय की कविताओं की विशेषता है छोटे या लघु की महत्ता का स्वीकार। रघुवीर सहाय ने भारतीय समाज में ताकतवरों की बढ़ती हैसियत और सत्ता के खिलाफ भी साहित्य पत्रकारिता के पाठकों का ध्यान खींचा। उनकी मृत्यु दिल्ली में सन् 1990 ई. में हुई।

रघुवीर सहाय

प्रमुख रचनाएं:

1. दूसरा सप्तक (1951)

2. काव्य संकलन

क) सीढ़ियों पर धूप में

ख) आत्महत्या के विरुद्ध

ग) हँसो हँसो जल्दी हँसो

3. अनुवाद

क) बारह हँगेरी कहानियाँ

ख) विवेकानन्द (रोमारोला)

ग) जेको (युगोस्लावी उपन्यास)

घ) राख और हीरे (पोलिस उपन्यास)

ङ) वरनय वन (शेक्सपियर)

च) खेल्भ नाइट (शेक्सपियर) का पद्य में अनुवाद

प्रश्नोत्तर

1. कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्टकों में रखी गई हैं- आपकी समझ से इसका क्या औचित्य है 

उत्तर: कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्ठकों में रखी गई है – जो कवि के उद्देश्य को और अधिक स्पष्टता प्रदान करती है। कवि ने इस कविता के माध्यम से यह दिखाने की कोशिश की है, कि किस तरह कुछ लोग अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए शारीरिक असक्षम व्यक्ति से असंवेदनशील सवाल पूछे जाते है कोष्ठक में रखे भये  कैमरा दिखाओ इसे बड़ा बड़ा के द्वारा उस व्यक्ति के आव-भाव को दिखाने की उसके दुख को  कैमरा में बड़ा बड़ा दिखने के बारे में कहा गया है, ताकि पीड़ा को देख दर्शक भी उसके प्रति संवेदनशील हो जाएँ। उसके आंखों की, होंठों की कसमसाहट की बड़ी तसवीर इसलिए ली में सन् दिखाई जाती है, ताकि लोग उसकी अपगंता की पीड़ा को देख पायेंगे।

एक स्थान पर कोष्ठक में लिखा है कैमरा, बस करो, नहीं हुआ, रहने दो, परदे पर वक्त की कीमत है। यह भले ही कैमरा के सामने नहीं कहा जाता लेकिन इससे उनलोगों के संवेदनशील रवैया का पता चलता है। करुणा जगाने की मानसिकता से शुरू हुआ कार्यक्रम किस तरह क्रूर बन जाता है। 

2. ‘कैमरे में बंद अपाहिजकरुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है विचार कीजिए।

उत्तर: प्रस्तुत कविता करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता है। क्योंकि यह कविता मनुष्य के धुर संवेदनहीनता को रेखांकित करता है। प्रस्तुत कविता में टेलिविजन स्टूडिओ के भीतर की दुनिया को उभारती है। यहाँ कवि ने उन लोगों की मानसिकता को दिखाने की कोशिश की है जो टेलिविजन का सहारा लेकर एक अपाहिज व्यक्ति की यतना- वेदना को बेचना चाहता है। ये लोग अपाहिज व्यक्ति की पीड़ा को बहुत बड़े दर्शक वर्ग तक पहुँचाना चाहते है, किंतु कारोबारी दबाव के कारण उनका रवैया बिल्कुल संवेदनहीन हो जाता है।

3. हम समर्थ शक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया है?

उत्तर: इसके माध्यम से कवि ने उन लोगों पर व्यंग्य किया है कि जो एक तरफ तो सामर्थवान होने का दावा करते है और उस सामर्थ का गलत प्रयोग करते है। इन पंक्तियों के माध्यम से उन लोगों पर व्यंग्य किया है, जो दुख-दर्द, यातना-वेदना को बेचते है।

4. यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक, दोनों एक साथ रोने लगेंगे तो उससे प्रश्नकर्ता का कौन सा उद्देश्य पूरा होगा?

उत्तर: यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक दोनों एक साथ रोने लगेंगे तो इससे प्रश्नकर्ता का कार्यक्रम को सफल बनाने का उद्देश्य पुरा होगा। उनका उद्देश्य कार्यक्रम को सफल बनाना होता है, जिसके लिए वे तरह-तरह के प्रश्न पूछकर उसे रोने पर विवश कर देते है और उसके दुख को देख दर्शक भी संवेदनशील हो “जाती है।

5. ” परदे पर वक्त की कीमत हैकहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजारिया किस रूप में रखा है?

उत्तर: परदे पर वक्त की कीमत है कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार को जो करुणा जगाने के मकसद से शुरू तो होता है, पर किस तरह क्रूर बन जाता है, उसे दिखाने की कोशिश की टेलिविज है। वर्तमान समय में समाज में कुछ लोगों का रवैया कारोबारी दवाब के तहत इतना पहुँचा स संवेदनशील हो गया है कि उन्हें परदे पर वक्त की कीमत का तो एहसास है, पर किसी अपाहिज व्यक्ति की संवेदना की कोई कीमत उनके सामने नहीं है।

6. ‘कैमरे में बंद अपाहिजनामक कविता के कवि कौन है

उत्तर: रघुवीर सहाय ।

7. रघुवीर सहाय का जन्म कब और कहां हुआ था

उत्तर: रघुवीर सहाय का जन्म सन् 1929 प्रदेश के लखनऊ नामक स्थान में हुआ था।

8. रघुवीर सहाय के किसी एक काव्य संकलन का नाम लिखे।

उत्तर: आत्महत्या के विरुद्ध।

9. रघुवीर सहाय किन-किन पत्रिकाओं से संबद्ध रहे?

उत्तर: कल्पना, नवभारत टाइम्स, दिनमान।

10. रघुवीर सहाय की मृत्यु कब और कहां हुई?

उत्तर: उनकी मृत्यु सन् 1990, दिल्ली में हुई थी।

11. ‘कैमरे में बंद अपाहिजकविता में कवि का उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर: प्रस्तुत कविता के माध्यम से कवि ने ऐसे लोगों की ओर इशारा किया है जो कारोबारी फायदे के लिए लोगों के दुख-दर्द, यातना वेदना को बेचना चाहता है।

12. इस कविता में कैसे व्यक्ति को  कैमरा के सामने लाया जाता है? 

उत्तर: एक अपाहिज व्यक्ति को।

व्याख्या कीजिए

1. हम दूरदर्शन……बता नहीं पाएगा।

उत्तर: अर्थ: इसमें टेलिविजन स्टूडिओ के भीतर की दुनिया को उभारा गया है। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए किस प्रकार दुर्बलों का सहारा लेते है। दूरदर्शन के कार्यक्रमों को दर्शक वर्ग तक पहुँचाने वाले लोगों के माध्यम से कवि कहते है कि हम दूरदर्शन के माध्यम से यह बतायेंगे कि हम कितने समर्थवान तथा शक्तिवान है। हम टेलिविजन के बंद केमरों में एक दुर्बल को लायेगे, जिससे उसकी पीड़ा को दर्शक वर्ग तक पहुँचा सके।

2. ‘उससे पूछेंगे……. बता नहीं पाएगा।

उत्तर: शब्दार्थ: अपाहिज शारीरिक असक्षम

अर्थ: दूरदर्शन कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक शारीरिक तौर पर दुर्बल व्यक्ति से किस प्रकार संवेदनहीन प्रश्न पूछे जाते है, उसी का वर्णन किया गया है। कवि कहते हैं कि कार्यक्रम संचालक उससे कई प्रश्न पूछेंगे जैसे क्या आप अपाहिज हैं या आप क्यों अपाहिज हैं? या कभी यह भी पूछेंगे की क्या आपका अपाहिजपन दुख देता हैं। फिर  कैमरा संचालक को इसे बड़ा दिखाने को संकेत करते है। फिर उस दुर्बल व्यक्ति से प्रश्न करते है। कि जल्दी अपना दुख बताइये। परंतु वह अपना दुःख बता नहीं पाता।

3. सोचिए.. ……. रो पड़ने का करते हैं?

उत्तर: शब्दार्थ: अपाहिज शारीरिक असक्षम व्यक्ति, रोचक – मनोरंजक, वास्ते के लिए इंतजार प्रतीक्षा 

अर्थ: कवि यहाँ दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालक का शारिरीक तौर पर असक्षम व्यक्ति को पूछे गये संवेदनहीन प्रश्नों का वर्णन कर रहे है। वह उस अपाहिज व्यक्ति से पूछता कि अपाहिज होकर उसे कैसा लगता है। फिर उसे खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा? अगर वह व्यक्ति नहीं बता पाया तो उसे सोचने के बाध्य किया जाता है। अपने कार्यक्रम को रोचक बनाने के लिए उससे प्रश्न पूछ पूछकर उसे रुला दिया जाता है। और शायद दर्शक के वर्ग भी उसके रोने का इंतजार करते है।

4. फिर हम परदे………रुलाने है। 

उत्तर: शब्दार्थ: कसमसाहट बेचैनी, धीरज धैर्य।

अर्थ: कवि कहते हैं, कार्यक्रम संचालक द्वारा पूछे गये संवेदनहीन प्रश्नों का आघात पाकर रो पड़ता हैं। तब अपने कार्यक्रम को और रोचक बनाने के लिए उसकी फूली हुई आंखों की बड़ी तसवीर  कैमरे में दिखाया जाता है। साथ ही उसके होंठों की कसमसाहट को भी  कैमरे में दिखाया जाता है। कवि कहते हैं कि ऐसा लगता है उनका यह कार्यक्रम एक कोशिश है, दर्शक और शारीरिक अक्षम व्यक्ति को एकसाथ रुलाने की।

5. आप और…….धन्यवाद।

उत्तर: अर्थ: यहाँ कवि ने ऐसे व्यक्ति की ओर इशारा किया है जो दुख-दर्द, यातना वेदना को बेचना चाहता है। कवि यहाँ करुणा जगाने के मकसद से शुरू हुआ कार्यक्रम के क्रूर बन जाने का वर्णन किया है। कोई भी कार्यक्रम निर्धारित समय का होता है, उस निर्धारित समय में अगर दर्शक और अपाहिज व्यक्ति को नहीं रुला पाये तो इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। कार्यक्रम का समय समाप्त होने पर वे मुसकुराते हुए दर्शकों से कहते हैं, आप सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम देख रहे थे। और धन्यवाद देकर विदा लेते। उनका मुसकुराना संवेदनहीनता का प्रमाण है।

6. उससे पूछेंगे तो ……. बता नहीं पाएगा।

उत्तर: प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी  पाठ्य पुस्तक आरोह (भाग-2) के काव्य खंड के  कैमरे में बंद अपाहिज’ नामक कविता से ली गई है। इसके कवि है रघुवीर सहाय । कवि ने प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से टेलिविज़न स्टूडिओ के भीतर की संवेदनहीनता को दिखाया है। 

अपने कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से  कैमरा के सामने लाये गये एक शारीरिक तौर पर असक्षम व्यक्ति से संवेदनहीन रवैया अपनाते हैं। वे उस व्यक्ति से पूछते है, क्या आप अपाहिज है, क्या आपका अपाहिज होना दुख देता है। इतना ही नहीं उस दुख को जल्दी बताने के लिए विवश भी किया जाता है। उसकी फूली हुई आंखें, होंठों की कसमसाहट आदि को  कैमरा में बड़ा बड़ा दिखाया जाता है, जिससे दर्शक उसके दुख में दुखी हो सके।

विशेष:

1. इसकी भाषा सहज-सरल है।

2. कवि ने उनलोगों पर व्यंग्य किया है, जो लोगों के दुख-दर्द, यतना-वेदना को बेचना चाहते हैं ।

3. अलंकार – 

अनुप्रास पको पाहिजपन

 पुनरुक्ति- बड़ा -बड़ा

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